नई दिल्ली. चंद्रयान 2 से संपर्क टूटने के बाद भले ही करोड़ों भारतीयों के दिलों में उदासी छा गई हो लेकिन इस बात पर हर किसी को गर्व है कि भारत ने जो किया वो आज तक कोई नहीं कर सका. जिस वक्त चंद्रयान से संपर्क टूटा वह चांद की सतह छूने से महज दो किलोमीटर दूर था. अब इस मिशन के पूरी तरह सफल नहीं होने के पीछे की वजहें सामने आई हैं.
विक्रम के दुर्घटनाग्रस्त की जांच रिपोर्ट में यह नई बात सामने आई है. इसरो के चंद्रयान 2 मिशन के सफल नहीं होने की वजहों को जानने के लिए बनी विशेषज्ञ समिति ने अंतरिक्ष आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम को आखिरी वक्त में चांद की सतह पर उतारने के लिए 50 डिग्री कोण पर घुमाने की कोशिश हुई थी.
लेकिन इसकी गति अधिक होने के कारण एक झटके में यह 410 डिग्री घूम गया और कलाबाजी खाते हुए चांद की सतह पर जा गिरा. गति को समय पर ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाने की वजह से ऐसा हुआ.
7 सितंबर 2019 को तड़के चांद की कक्षा में रोवर को अपने अंदर लिए आर्बिटर के साथ घूम रहे विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने की कोशिश की गई थी.
इस दौरान विक्रम लैंडर को चंद्रमा पर उतारने के लिए सतह की ओर आगे बढ़ाया गया. 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर जब विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हुआ तो इसकी गति 1680 मीटर प्रति सेंकेंड थी इसके बाद जब तक यह एक किलोमीटर की ऊंचाई तक आया तो इसकी गति 146 मीटर प्रति सेंकेड तक आ गई. लेकिन यह लैडिंग के लिए बहुत ज्यादा थी.
इसी गति पर लैडिंग के लिए विक्रम लैंडर को 50 डिग्री तक घुमाने की जरूरत थी लेकिन जब ऐसा करने की कोशिश की गई तो गति ज्यादा होने की वजह से यह 410 डिग्री घूमकर अनियंत्रित हो गया और सतह से जा टकराया.
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