नई दिल्ली. केंद्र में किसकी सरकार बनेगी और किसकी सरकार जाएगी इन दोनों बातों के लिए जो मुख्य कारण जिम्मेवार हैं उनमें एक कारण देश के उन राज्यों की लोकसभा सीटों का आंकड़ा भी है जिन राज्यों को जीतकर सत्ता की चाबी हासिल की जाती है. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु शामिल हैं. राज्यवार बात करें तो यूपी में भाजपा, महाराष्ट्र भाजपा-शिवसेना, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और बिहार में जेडीयू-भाजपा गठबंधन सत्ता पर काबिज है.
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां 80 लोकसभा सीटें हैं जोकि देश में किसी भी राज्य की सर्वाधिक सीटें हैं. मोदी लहर में एनडीए ने पिछली बार यूपी की 73 सीटें जीती थीं. इस बार समाजवादी पार्टी 37 सीटें, बसपा 38 और आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एसपी ने अब तक 9 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. उधर, दूसरा राज्य है महाराष्ट्र जिसमें 48 लोकसभा सीटें हैं. यहां पर भाजपा और शिवसेना में सीट बंटवारा हुआ पड़ा है. इस बार बीजेपी 25 और शिवसेना 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. एनडीए में शामिल आरपीआई को एक भी सीट नहीं मिली है. इससे उसके नेता रामदास आठवले नाराज चल रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले शिवसेना के साथ आ जाने के बाद बीजेपी ने राहत की सांस ली है. विपक्ष की बात करें तो यहां कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीट बंटवारे पर फिलहाल सहमति नहीं बन पाई है. साल वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा एनसीपी को 5 तथा कांग्रेस को दो मिली थीं.
तीसरा राज्य है पश्चिम बंगाल जहां 42 सीटें हैं. बीजेपी जहां पश्चिम बंगाल से अधिक से अधिक सीटें जीतकर यूपी की भरपाई करना चाहती है. यहां मुकाबला काफी रोचक है क्योंकि सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बैनर्जी केंद्र के खिलाफ विभिन्न मौकों पर मोर्चा खोल चुकी हैं.
वैसे कांग्रेस के लिए सुखद बात ये है कि सीपीएम और कांग्रेस के बीच गतिरोध राहुल गांधी और सीताराम येचुरी के हस्तक्षेप के बाद लगभग सुलझ गया है. हालांकि सीटों का अभी औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. बिहार की 40 सीटें हैं और बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर और एलजेपी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस बंटवारे में सबसे ज्यादा फायदे में जो पार्टी रही है, वह है एलजेपी और सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हुआ. उधर, बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए आरजेडी का महागठबंधन बनने से पहले ही टूटने की कगार पर पहुंच गया है. बिहार में राज्य की 40 सीटों पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है.
तमिलनाडु में 39 सीटें हैं और यहां सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एआईएडीएमके) और भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर मुहर लग गई है. तमिलनाडु की 39 और पुडुचेरी की एक सीट को लेकर दोनों दलों में बंटवारा हो गया है. बीजेपी अपने हिस्से की सीटों में से 8 पर चुनाव लड़ेगी, जबकि 4 सीट पीएमके, 3 सीट डीएमडीके को देगी.